अर्थ :- (सिफत सलाह की बानी विसरने से) जींद बार बार दुखी होती है, दुखी हो हो कर (फिर) और और विकारों में परेशान होती है। जिस सरीर में (भाव, जिस मनुख को) परभू की सिफत- सलाह के बाणी भूल जाती है, वह सदा विलाप में रहता है जैसे कोई कोड़ी मनुख।१। (सुमिरन से खाली रहने के कारण हम जो दुःख खुद बुला लेते है) उनके बारे में गिला-शिकवा करना व्यर्थ है, क्योंकि परमात्मा हमारे गिला करने के बिना ही (हमारे सारे रोगों का) कारण जानता है।१।रहाउ। (दुखों से बचने के लिए उस परभू का सिमरन करना चाहिए) जिस ने कान दिए, आँखे दी, नाक दिया, जिस ने जिव्हा दी जो जल्दी जल्दी बोलती है, जिस ने हमारे सरीर पर कृपा कर के जीवन को (सरीर में) टिका दिया, (जिस की कला से सरीर में) श्वास चलता है और मनुख हर जगह (चल -फिर और बोल चाल कर सकता है।२। जितना भी माया का मोह है दुनिया की प्रीति है, रसों के स्वाद हैं, ये सारे मन में विकारों की कालिख ही पैदा करते हैं, विकारों के दाग़ ही लगाते जाते हैं। (सिमरन से सूने रह के विकारों में फस के) मनुष्य विकारों के दाग़ अपने माथे पर लगा के (यहाँ से) चल पड़ता है, और परमात्मा की हजूरी में इसे बैठने के लिए जगह नहीं मिलती।੩। (पर, हे प्रभू! जीव के भी क्या वश?) तेरा नाम सिमरन (का गुण) तेरी मेहर से ही मिल सकता है, तेरे नाम में लग के (मोह और विकारों के समुंद्र में से) पार लांघा जा सकता है, (इनसे बचने के लिए) और कोई जगह नहीं है। हे नानक! (निराश होने की आवश्यक्ता नहीं) अगर कोई मनुष्य (प्रभू को भुला के विकारों में) डूबता भी है (वह प्रभू इतना दयालु है कि) फिर भी उसकी संभाल होती है। वह सदा-स्थिर रहने वाला प्रभू सब जीवों को दातें देने वाला है (किसी से भेद-भाव नहीं रखता)।੪।੩।੫।
Dhanaasaree, First Mehl: My soul burns, over and over again. Burning and burning, it is ruined, and it falls into evil. That body, which forgets the Word of the Guru’s Bani, cries out in pain, like a chronic patient. ||1|| To speak too much and babble is useless. Even without our speaking, He knows everything. ||1||Pause|| He created our ears, eyes and nose. He gave us our tongue to speak so fluently. He preserved the mind in the fire of the womb; at His Command, the wind blows everywhere. ||2|| These worldly attachments, loves and pleasurable tastes, all are just black stains. One who departs, with these black stains of sin on his face shall find no place to sit in the Court of the Lord. ||3|| By Your Grace, we chant Your Name. Becoming attached to it, one is saved; there is no other way. Even if one is drowning, still, he may be saved. O Nanak, the True Lord is the Giver of all. ||4||3||5||
A person with the vision of sharing Hukamnama Sahib straight from Shri Golden Temple, Amritsar. He is a Post-Graduate in Mechanical Engineering. Currently, he’s serving the society by running a youtube channel @helpinair.
He especially thanks those people who support him from time to time in this religious act.