तिलंग घरु २ महला ५ ॥ तुधु बिनु दूजा नाही कोइ ॥ तू करतारु करहि सो होइ ॥ तेरा जोरु तेरी मनि टेक ॥ सदा सदा जपि नानक एक ॥१॥ सभ ऊपरि पारब्रहमु दातारु ॥ तेरी टेक तेरा आधारु ॥ रहाउ ॥ है तूहै तू होवनहार ॥ अगम अगाधि ऊच आपार ॥ जो तुधु सेवहि तिन भउ दुखु नाहि ॥ गुर परसादि नानक गुण गाहि ॥२॥ जो दीसै सो तेरा रूपु ॥ गुण निधान गोविंद अनूप ॥ सिमरि सिमरि सिमरि जन सोइ ॥ नानक करमि परापति होइ ॥३॥ जिनि जपिआ तिस कउ बलिहार ॥ तिस कै संगि तरै संसार ॥ कहु नानक प्रभ लोचा पूरि ॥ संत जना की बाछउ धूरि ॥४॥२॥
अर्थ: हे प्रभू! तेरे बिना और कोई दूसरा कुछ कर सकने वाला नहीं है। तूँ सारे जगत को पैदा करने वाला हैं, जो कुछ तूँ करता हैं, वही होता है, (हम जीवों को) तेरी ही शक्ति है, (हमारे) मन में तेरा ही सहारा है। हे नानक जी! सदा ही उस एक परमात्मा का नाम जपते रहो ॥१॥ हे भाई! सब जीवों को दाताँ देने वाला परमात्मा सब जीवों के सिर ऊपर राखा है। हे प्रभू! (हम जीवों को) तेरा ही आसरा है, तेरा ही सहारा है ॥ रहाउ ॥ हे प्रभू! हर जगह हर समय तूँ ही तूँ मौजूद हैं, तूँ ही सदा कायम रहने वाला हैं। हे अपहुँच प्रभू! हे अथाह प्रभू! हे सब से ऊँचे और बेअंत प्रभू! जो मनुष्य तुम्हें याद करते हैं, उनको कोई डर कोई दुःख परेशान नहीं कर सकता। हे नानक जी! गुरू की कृपा से ही (मनुष्य परमात्मा के) गुण गा सकते हैं ॥२॥ हे प्रभू! (जगत में) जो कुछ दिखता है तेरा ही स्वरूप है, हे गुणों के ख़ज़ाने! हे सुंदर गोबिंद! (यह जगत तेरा ही रूप है) हे मनुष्य! सदा उस परमात्मा का सिमरन करते रहो। हे नानक जी! (परमात्मा का सिमरन) परमात्मा की कृपा से ही मिलता है ॥३॥ हे भाई! जिस मनुष्य ने परमात्मा का नाम जपा है, उस से कुर्बान होना चाहिए। उस मनुष्य की संगत में (रह कर) सारा जगत संसार-समुँद्र से पार निकल जाता है। नानक जी कहते हैं – हे प्रभू! मेरी इच्छा पूरी करो जी, मैं (तेरे दर से) तेरे संत जनों के चरणों की धूल माँगता हूँ ॥४॥२॥
Tilang Ghar 2 Mahalaa 5 || Tudhh Bin Doojaa Naahee Koe || Too Kartaar Kareh So Hoe || Teraa Jor Teree Man Ttek || Sadaa Sadaa Jap Naanak Ek ||1|| Sabh Oopar Paarbreham Daataar || Teree Ttek Teraa Aadhhaar || Rahaau || Hai Toohai Too Hovanhaar || Agam Agaadhh Ooch Aapaar || Jo Tudhh Seveh Tin Bhau Dukh Naahe || Gur Parsaad Naanak Gun Gaahe ||2|| Jo Deesai So Teraa Roop || Gun Nidhhaan Govind Anoop || Simar Simar Simar Jan Soe || Naanak Karam Paraapat Hoe ||3|| Jin Japeaa Tis Kau Balehaar || Tis Kai Sang Tarai Sansaar || Kahu Naanak Prabh Lochaa Poor || Sant Janaa Kee Baashhau Dhhoor ||4||2||
Meaning: There is no other than You, Lord. You are the Creator; whatever You do, that alone happens. You are the strength, and You are the support of the mind. Forever and ever, meditate, O Nanak Ji, on the One. ||1|| The Great Giver is the Supreme Lord God over all. You are our support, You are our sustainer. || Pause || You are, You are, and You shall ever be, O inaccessible, unfathomable, lofty and infinite Lord. Those who serve You, are not touched by fear or suffering. By Guru’s Grace, O Nanak Ji, sing the Glorious Praises of the Lord. ||2|| Whatever is seen, is Your form, O treasure of virtue, O Lord of the Universe, O Lord of incomparable beauty. Remembering, remembering, remembering the Lord in meditation, His humble servant becomes like Him. O Nanak Ji, by His Grace, we obtain Him. ||3|| I am a sacrifice to those who meditate on the Lord. Associating with them, the whole world is saved. Says Nanak Ji, God fulfills our hopes and aspirations. I long for the dust of the feet of the Saints. ||4||2||
A person with the vision of sharing Hukamnama Sahib straight from Shri Golden Temple, Amritsar. He is a Post-Graduate in Mechanical Engineering. Currently, he’s serving the society by running a youtube channel @helpinair.
He especially thanks those people who support him from time to time in this religious act.